हिंदी ब्लोगिंग की शुरुआत 21 अप्रैल 2003 को हुई थी जब आलोक कुमार ने नौ दो ग्यारह नामक ब्लॉग का प्रकाशन किया ।ब्लाग के लिये चिट्ठा शब्द भी उन्होंने ही सुझाया। हिंदी के इस पहले ब्लोगर का कहना है कि htttp://directory.google.com/world/hindi के बारे में मुझे पता चला और मैं भी इसका स्वयंसेवी संपादक बन गया, रोज हिंदी के स्थलों की खोज होती थी । संपादन करते हुए एहसास हुआ कि हिंदी में कुछ सामग्री ही नहीं है । इससे कम बोलने वाले होते हुए भी यूनानी, कोरोयाई, जापानी, अरबी के अधिक स्थल है । बहुत दुःख हुआ फिर लगा कि यह काम तो हिंदी बोलने-लिखने वालों को ही करना है । जाल से इतनी चीजें मुफ्त में मिलती है तो हमारा भी कुछ फ़र्ज़ है वापस देने का , फिर सोचा कि क्यों न रोज कुछ न कुछ हिंदी में लिखूं ? कुल तीन लेखों के बाद यह बंद हो गया । फरबरी २००३ में गूगल ने ब्लोगर की कंपनी को खरीदा तो मुझे पता चला कि इस काम को स्वचालित तरीके से किया जा सकता है फिर शुरू कर दिया अपना ब्लॉग नौ दो ग्यारह ... !

वर्ष-२००३-२००४ को हिंदी ब्लोगिंग का पूर्वाध काल कहा जा सकता है । इन दोनों वर्षों में हिंदी ब्लोगिंग का बहुत ज्यादा विकास नहीं हो पाया , किन्तु वर्ष २००४ के उत्तरार्ध में रवि रतलामी का एक आलेख अभिव्यक्ति में प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था : अभिव्यक्ति का नया माध्यम : ब्लॉग । इस आलेख के आने के पूर्व तक अधिकाँश लोग जियोसिटीज डोट कोंम पर ही पी डी एफ फाईल संलग्न कर ब्लोगिंग का आनंद ले रहे थे । इस आलेख के प्रकाशन के पश्चात लोगों को ब्लॉग के मायने समझ में आने लगे और इस दिशा में लोगों का रुझान बढ़ता गया !

इस दौर के प्रमुख ब्लॉग हैं - इंदौर के देबाशीश का ब्लॉग नुक्ता चीनी, रवि रतलामी का हिंदी ब्लॉग ,पंकज नोरुल्ला, शजर बोलता है, अक्षर ग्राम कुछ बतकही, फ़ुरसतिया , मेरी कविताएँ,सिन्धियत, मेरा पन्ना, ठलुआ , शब्द साधना, गुरु गोविन्द, कटिंग चाय, समथिंग टू से, कुछ तो है जो कि और हाँ कबाजी आदि । आगे चलकर अमर कुमार जी के ब्लॉग कुछ तो है जो कि का सदस्य मैं भी बना । वर्ष -२००५ में जब हिंदी चिट्ठों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई तब उस समय चिट्ठा चर्चा की शुरुआत हुई ।
वर्ष-२००५ के उत्तरार्ध में हिंदी ब्लॉग की संख्या एन केन प्राकेण १०० हुई । हिंदी के प्रमुख ब्लॉग और उनकी ताज़ा पोस्टिंग के बारे में देबाशीश ने माइजावासर्वर पर हिंदी का पृष्ठ चिठ्ठा विश्व बनाया , जहाँ हिंदी ब्लॉगर्स के परिचयों के साथ ही ताज़ा ब्लॉग्स के सारांश (पूरे ब्लॉग के लिंक सहित) देखे जा सकते थे . इसी प्रकार वेबरिंग पर भी हिंदी चिठ्ठाकारों की जालमुद्रिका बनी थी इसी दौरान !हलांकि वर्ष-२००५ में मनीष कुमार का Ek Shaam Mere Naam अस्तित्व में आ गया था , किन्तु यह रोमन में लिखा जा रहा था , वर्ष-२००६ में मनीष कुमार एक शाम मेरे नाम से दूसरा ब्लॉग वर्ष-२००६ में पुन: लेकर आये जिसमें उन्हीनें देवनागरी लिपि में सुन्दर संस्मरण प्रस्तुत किया । सकारात्मक ब्लोगिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इन्हें वर्ष -२००९ में संवाद सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है ।


वर्ष-२००६ में हिंदी चिट्ठों का व्यापक बिकास हुआ और उस दौरान उड़न तश्तरी ,इन्द्रधनुष, अखंड,आलोक,पुष्टिमार्ग, प्रणव शर्मा,प्रशांत,भास्कर,विनीत,श्रवन,संतोष,IIFMights का चिट्ठा , थोड़ा और , श्रीश , ई पंडित , नारद, परिचर्चा, हमारा बेंजी, माझी दुनिया , निशिकांत वर्ल्ड, दीपांजलि , निरंतर , तरकश के साथ-साथ अनेक महत्वपूर्ण ब्लॉग अवतरित हुए । वर्ष-२००६ हिंदी चिट्ठों के विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण अवश्य रहा किन्तु महत्वपूर्ण सामग्री परोसने के लिहाज से बहुत उपयोगी नहीं रहा । हिंदी चिट्ठों का व्यापक बिकास हुआ वर्ष-२००७ में और इस दौरान चिट्ठों की संख्या दो हजार को पार कर गयी । ``


वर्ष -२००७ में हिंदी चिट्ठों की संख्या ज्यादा नहीं थी, लगभग तीन हजार के आसपास थी , इसीलिए ब्लॉग विश्लेषण के अंतर्गत परिकल्पना पर केवल साठ महत्वपूर्ण ब्लोग्स की हीं चर्चा की जा सकी थी , इनमें प्रमुख है -"ज्ञानदत्त पाण्डेय का मानसिक हलचल " , "सारथी" ,"उड़न तश्तरी " , "अलोक" ,"काकेश " , " अमर कुमार "!!, "महावीर " , "अनिता" , "साध्वी '' , "मीनाक्षी" , " दीपक भारतदीप " , "रवि रतलामी " ,"परमजीत" , "दिव्याभ"!! ," ठहाका " , रेडियो ,ई-मिरची , "बाल किशन" का ब्लोग, "शब्द लेख सारथी,"संजय" "अंकुर गुप्ता""हिन्दी पन्ना" , "ठुमरी""श्रीश" , "हसगुल्ले" , "संजय" , " आशीष महर्षि" ,
"उन्मुक्त " ! "चक्रव्यूह " "सचिन लुधियानवी" " कंचन सिंह चौहान" " सुखन साज़ " " इरफान " !!
"मीत" , "अन्तरध्वनि " , " महक "वाचस्पति अविनाश " अनुगुन्जन ", " इयता " , " नोटपैड " " कबाड़ " , " विनीत कुमार " , " जोशिम " , "पुनीत ओमर " , " अर्बूदा " , "अनिल " , "नारद" "परिकल्पना" , "चकल्लस " , "वाटिका " , "घुघूती बासूती", " कथाकार" , " आलोक पुराणिक " , " नीरज ", अरमान", "मंगलम ", " भदेस" , " अनूप शुक्ल " की फुरसतिया, तेताला, बगीची , मेरी भावनाएं और रबीश कुमार का कस्बा आदि ।

वर्ष-२००८ आते आते ब्लोग्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ और यह संख्या दस हजार के आसपास पहुँच गयी । वर्ष -2००८ में हिन्दी चिट्ठा जगत के लिए सबसे बड़ी बात यह रही कि इस दौरान अनेक सार्थक और विषयपरक ब्लॉग की शाब्दिक ताकत का अंदाजा हुआ । अनेक ब्लोगर ऐसे थे जिन्होनें अपने चंदीली मीनार से बाहर निकलकर जीवन के कर्कश उद्घोष को महत्व दिया लेखन के दौरान , तो कुछ ने भावनाओं के प्रवाह को । कुछ ब्लोगर की स्थिति तो भावना के उस झूलते बट बृक्ष के समान रही जिसकी जड़ें ठोस जमीन में होने के बजाय अतिशय भावुकता के धरातल पर टिकी हुयी नजर आयी ।

उसी वर्ष हुआ था मुंबई पर आतंकी हमला । इस हमला ने पूरे विश्व बिरादरी को झकझोर कर रख दिया एकवारगी । भला हमारे ब्लोगर भाई इससे अछूते कैसे रह सकते थे । कई चिट्ठाकारों के द्वारा जहाँ इस बीभत्स घटना की घोर निंदा की गयी , वहीं पाकिस्तान को इसके लिए खरी-खोटी भी सुनाई गयी । कनाडा के भारतीय ब्लोगर समीर लाल ने उड़न तस्तरी में अपने कविताई अंदाज़ में जहाँ कुछ इस तरह वयां किया था " समझ नहीं पा रहा हूँ कि इस वक्त मैं शोक व्यक्त करुँ या शहीदों को सलाम करुँ या खुद पर ही इल्जाम धरुँ....!" वहीं अनंत शब्दयोग के एक पोस्ट में दीपक भारत दीप पाकिस्तान की पोल खोलते हुए कहा था , कि-"पाकिस्तान का पूरा प्रशासन तंत्र अपराधियों के सहारे पर टिका है। वहां की सेना और खुफिया अधिकारियों के साथ वहां के अमीरों को दुनियां भर के आतंकियों से आर्थिक फायदे होते हैं। एक तरह से वह उनके माईबाप हैं। यही कारण है कि भारत ने तो 20 आतंकी सौंपने के लिये सात दिन का समय दिया था पर उन्होंने एक दिन में ही कह दिया कि वह उनको नहीं सौंपेंगे। "सारथी पर अपने पोस्ट के माध्यम से जे सी फ्लिप शास्त्री ने कहा , कि- "आज राष्ट्रीय स्तर पर शोक मनाने की जरूरत है।


बम्बई में जो कुछ हुआ वह भारतमां के हर बच्चे के लिये व्यथा की बात है!राष्ट्रद्रोहियों को चुन चुन कर खतम करने का समय आ गया है!!शायद एक बार और कुछ क्रांतिकारियों को जन्म लेना पडेगा !!!"
वहीं ज्ञान दत्त पाण्डेय का मानसिक हलचल में श्रीमती रीता पाण्डेय का कहना था कि "टेलीवीजन के सामने बैठी थी। चैनल वाले बता रहे थे कि लोगों की भीड़ सड़कों पर उमड़ आई है। लोग गुस्से में हैं। लोग मोमबत्तियां जला रहे हैं। चैनल वाले उनसे कुछ न कुछ पूछ रहे थे। उनसे एक सवाल मुझे भी पूछने का मन हुआ – भैया तुम लोगों में से कितने लोग घर से निकल कर घायलों का हालचाल पूछने को गये थे? "


कविताई अंदाज़ में अपनी भावनाओं को कुछ कठोर शब्दों में वयां किया था उस वर्ष कवि योगेन्द्र मौदगिल ने कि "बच्चा -बच्चा आज जगह ले अपने स्वाभिमान को , उठो हिंद के बियर सपूतों , पहचानो पहचान को,हिंसा से ही ध्वस्त करो , हिंसा की इस दूकान को , रणचंडी की भेंट चढ़ा दो पापी पाकिस्तान को ...!" वहीं निनाद गाथा में अभिनव का कहना था , कि "किसको बुरा कहें हम आख़िर किसको भला कहेंगे,जितनी भी पीड़ा दोगे तुम सब चुपचाप सहेंगे,डर जायेंगे दो दिन को बस दो दिन घबरायेंगे,अपना केवल यही ठिकाना हम तो यहीं रहेंगे,तुम कश्मीर चाहते हो तो ले लो मेरे भाई,नाम राम का तुम्हें अवध में देगा नहीं दिखाई....!"हिन्दी ब्लोगिंग की देन में एक पोस्ट के दौरान रचना का कहना था कि-"हर मरने वालाकिसी न किसी करकुछ न कुछ जरुर थाइस देश कर था या उस देश का थापर आम इंसान थाशीश उसके लिये भी झुकाओयाद उसको भी करोहादसा और घटनामत उसकी मौत को बनाओ...!"विचार-मंथन—एक नये युग का शंखनाद में सौरभ ने कहा था , कि-"कुरुक्षेत्र की रणभूमि के बीच खड़े होकर तो सिर्फ अर्जुन ने शोक किया था, पर आज देश के करोड़ों लोगों की तरह मैं भी मैदान के बीचो-बीच अकेला खड़ा हुआ हूँ—नितांत अकेला, शोकाकुल और ग़ुस्से से भरपूर। मेरे परिवार के 130 से ज्यादा सदस्य आज नहीं रहे. जी हाँ, ठीक सुना आपने, मेरे परिवार के सदस्य नहीं रहे. मौत हुई है मेरे घर में और मेरे परिवार को मारने वाले मेरे घर के सामने है, हँसते हुए, ठहाके लगाते हुए और अपनी कामयाबी का जश्न बनाते हुए. और मैं.... !" एक आम आदमी यानी ऐ कॉमन मन ने बहुत ही सुंदर प्रश्न को उठाया था , कि "कोई न कोई तो सांठ-गाँठ है इन मुस्लिम नेताओं, धार्मिक गुरुओं तथा धर्मनिरपेक्षियों (सूडो) के बीच....!"मेरी ख़बर में ओम प्रकाश अगरवाल ने कहा था , कि "हमारे पढ़े-लिखे वोटर पप्पुओं के कारण फटीचर किस्म के नेता चुने जा रहे हैं .....!"

कुछ अनकही में श्रुति ने तीखे स्वर में कहा , कि - "कहाँ है राज ठाकरे । मुंबई जल रही है , जाहिर है नेताओं की कमीज पर अब दाग काफी गहरे हो चुके हैं । " वहीं इयता पर कुछ अलग स्वर देखने को मिला था उस दौरान , मगर सन्दर्भ है मुंबई का हमला हीं, कहते हैं कि "इस दौरान शराब की बिक्री में ७० फीसदी की कमी आयी । मयखाने खाली पड़े थे और शराबी डर के भाग लिए थे । नरीमन पॉइंट पर दफ्तर बंद है । किनारे पर टकराती सागर की लहरों के पास प्रेमी जोड़े नही हैं । सागर का किनारा वीरान हो गया है । बेस्ट की बसों में कोई भीड़ नही है ...!"

इस सब से कुछ अलग हटकर दिल एक पुराना सा म्यूज़ियम है पर मुंबई धमाकों में शहीद हुए जवानों की तसवीरें पेश की गयी , जो अपने आप में अनूठा था । वहीं हिन्दी ब्लॉग टिप्स पर ताज होटल का विडियो लगाया गया , जहाँ ताज की पुरानी तसवीरें देखी जा सकती है ।

यहाँ तक कि मुंबई हमलों से संवंधित पोस्ट के माध्यम से वर्ष के आखरी चरणों में एक महिला ब्लोगर माला के द्वारा विषय परक ब्लॉग लाया गया , जिसका नाम है मेरा भारत महान जसके पहले पोस्ट में माला ने कहा कि -"हमारी व्यापक प्रगति का आधार स्तम्भ है हमारी मुंबई । हमेशा से ही हमारी प्रगतिहमारे पड़ोसियों के लिए ईर्ष्या का विषय रहा है । उन्होंने सोचा क्यों न इनकी आर्थिक स्थिति को कमजोड कर दिया जाए , मगर पूरे विश्व में हमारी ताकत की एक अलग पहचान है , क्योंकि हमारा भारत महान है । "

इन हिंदी ब्लोग्स के अतिरिक्त वर्ष-२००८ में जो ब्लोग्स अपनी उपस्थिति से हिंदी ब्लॉगजगत का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहे उनमें प्रमुख है - लोकरंग , कुछ अलग सा , शब्दों का सफर , - ठुमरी , खेत खलियान , खलियान , ओडीसा और कंधमाल के आंसू , मेरी प्रतिक्रया , बिदेसिया , दालान , सांई ब्लॉग ,सुखनसाज़ , महक , अर्श , युगविमर्श , अरूणाकाश, महाकाव्य , मीत , "कुछ मेरी कलम से " , -"पारुल…चाँद पुखराज का" , "डॉ. चन्द्रकुमार जैन " , -"क्षणिकाएं " , मीत , "दिशाएँ " , -"प्रहार " , "दिल की बात '' , "दिल की बात '' , हिंद युग्म , परिकल्पना , “ रचनाकार “ , “ अभिव्यक्ति “ , “साहित्यकुंज” , “वाटिका “ , "गवाक्ष ", “ सृजनगाथा “ ," महावीर" " नीरज " "विचारों की जमीं" "सफर " " इक शायर अंजाना सा…" "भावनायें... " , "ठहाका " , हिंदी जोक्स , तीखी नज़र , बामुलाहिजा , चिट्ठे सम्बंधित कार्टून , चक्रधर का चकल्लस , अज़ब अनोखी दुनिया के ,अविनाश वाचस्पति , यूँ ही निट्ठल्ला..... , डूबेजी , दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका , निरंतर , अनुभूति कलश , हास्य कवि दरबार , “समतावादी जन परिषद् “ , “ इंडियन बाईस्कोप डॉट कॉम “ , मनोज बाजपेयी , -“ कबाड़खाना “ , रवीश कुमार , “ प्राइमरी का मास्टर “ , “एक हिंदुस्तानी की डायरी“ , “अदालत “ , “ अखाडे का उदास मुगदर “ , स्वास्थ्य चर्चा , गत्यात्मक ज्योतिष , सच्चा शरणम , स्वप्न लोक , "Raviratlami Ka Hindi Blog ", उन्मुक्त , छुट-पुट , "॥दस्तक॥ , सुनो भाई साधो........... , अंकुर गुप्ता का हिन्दी ब्लाग , हिन्दी ब्लॉग टिप्स , Control Panel कंट्रोल पैनल , e-मदद , नौ दो ग्यारह , समोसा बर्गर , तकनीकी दस्तक , मानसिक हलचल...... /सारथी... /hindiblogosphere .../टेक पत्रिका.../ Blogs Pundit... /हि.मस्टडाउनलोड्स डॉटकॉम... /Vyakhaya... /दुनिया मेरी नज़र से - world from my eyes!!... /घोस्ट बस्टर का ब्लॉग... /ज्ञान दर्पण... /Cool Links वैब जुगाड़... /अक्षरग्राम... /लिंकित मन... /मेरी शेखावाटी..., - तस्लीम ,तीसरा खम्बा., भडास , भड़ास ब्लॉग, मुहल्ला , भोजपुर नगरिया , मिथिला मिहिर , भड़ास ४ मीडिया , लोकसंघर्ष , नुक्कड़ ,मनीष कुमार का मुसाफिर हूँ यारों आदि ।

समग्र विश्लेषण के क्रम में यह पाया गया कि वर्ष-२००८ में शब्दावली में अग्रणी रहे अजित वाडनेकर, सकारात्मक टिपण्णी में अग्रणी रहे अनूप शुक्ल , साफ़गोई में अग्रणी रहे डॉ अमर कुमार, विज्ञान में अग्रणी रहे डा.अरविन्द मिश्रा , व्यंग्य में अग्रणी रहे अविनाश वाचस्पति, हास्य में अग्रणी रहे अशोक चक्रधर, तकनीकी पोस्ट में अग्रणी रहे उन्मुक्त, सामुदायिक गतिविधियों में अग्रणी रहे जाकिर अली रजनीश, कानूनी सलाह में अग्रणी रहे दिनेश राय द्विवेदी, सिनेमा संवंधित फीचर में अग्रणीरहे दिनेश श्रीनेत, चिंतन में अग्रणी रहे दीपक भारतदीप, विनम्र शैली में अग्रणी रहे नीरज गोस्वामी , क्षेत्रीय भाषा भोजपुरी में अग्रणी रहे प्रभाकर पांडे, सकारात्मक प्रतिक्रया में अग्रणी रहे पंकज अवधिया, सकारात्मक सोच में अग्रणी रहे महेंद्र मिश्रा, तकनीकी सृजन में अग्रणी रहे रवि रतलामी, शिक्षा- दीक्षा में अग्रणी रहे शास्त्री जे सी फिलिप, ज्योतिष में अग्रणी रही श्रीमती संगीता पुरी, प्रशंसा -प्रसिद्धि में अग्रणीरहे समीर लाल, गीतात्मकता में अग्रणी रहे राकेश खंडेलवाल और सामयिक सोच -विचार में अग्रणी रहे ज्ञान दत्त पांडे आदि !

अभी जारी है ........

29 टिप्पणियाँ:

  1. बहुत ही श्रम करके आपने बेहद ही उपयोगी आलेख लिखा है. आप सहज ही कोटि-कोटि बधाई के पात्र हैं.

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  2. परिक्रमा लगानी शुरु कर दी है आपके साथ ……………अब अगली कडी का इंतज़ार है।

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  3. हिंदी ब्लॉग जगत के इतिहास के संबंध में बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ...ब्लॉग परिक्रमा की अगली कड़ियों का इंतजार रहेगा । बहुत ही मेहनत से तैयार किया गया आलेख ! ....बधाई स्वीकार करें ।

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  4. कई दिन से परिक्रमा लग रही है मेरी भी .. आज अनुसरणकर्ता भी बन गयी !!

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  5. हम भी शामिल हो गए हैं आपके साथ इस ब्लॉग परिक्रमा में ...!

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  6. कल पूर्णिमा थी, इसलिए मैंने कल से ही परिक्रमा लगानी शुरू कर दी है .....!

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  7. बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ...ब्लॉग परिक्रमा की अगली कड़ियों का इंतजार रहेगा ।

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  8. भईया मुझे भी कर लो शामिल इस परिक्रमा में, मैं भी पुण्य का भागी बनाना चाहता हूँ !

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  9. परिक्रमा का एक लम्बा सफ़र!!
    अथक परिश्रम झलकता है।
    प्रशस्त प्रयोजन!!,कोटि कोटि बधाई।

    योगदान करने वालों के प्रति कृतज्ञ!!शुभम्

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  10. इस परिक्रमा से हम धन्य हुये। आपका ये अथक प्रयास साहित्य और ब्क्लागजगत मे एक मील पत्थर साबित होगा। शुभकामनायों के साथ ।

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. वींद्र प्रभात जी क्या आप बता सकते है् कि पाँच साल की लगातार ब्लॉगिंग कर ढाई लाख से ज्यादा पेजलोड्स, पौने छः सौ (574) ई मेल स्ब्सक्राइबर के होते हुए भी आपने मेरे ब्लॉग एक शाम मेरे नाम का उल्लेख क्यूँ नहीं किया? मेरे ख्याल से ऐसे ही आपने अन्य ब्लागों को छोड़ा होगा क्यूँकि किस मापदंड पर ये इतिहास लिखा गया है उसका जिक्र इस पोस्ट में नहीं है। दो हजार पाँच या छः में आप हिंदी ब्लॉग जगत में आप कितने सक्रिय थे ये मुझे अच्छी तरह पता है :)

    पिछले कुछ सालों से हिंदी ब्लॉग जगत में सिर्फ स्वयंभू विश्लेषक और अब इतिहासकार का भार आपने सँभाला है। इसके लिए मेहनत तो खूब करते हैं आप पर पंच के आसन पर पहुंचने के लिए जिस निष्पक्षता की जरूरत है वो आपमें कहीं नज़र नहीं आती। आपको आपकी परिक्रमा मुबारक.. एक दूसरे की पीठ थपथपाने की जिस क़वायद में आप हैं उसमें लगे रहें।

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  13. चिट्ठाजगत का सिलसिलेवार इतिहास जानकर खुशी हुई...अभी परिक्रमा लगाने और आउंगा।

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  14. मनीश कुमार जी की बातें भी विचारणीय हैं।

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  15. मुझे इसमें जगह देने के लिये आभार।

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  16. सराहनीय और सार्थक परिक्रमा ...शानदार ब्लोगिंग का शानदार प्रयास...

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  17. हम जैसे ब्लॉगर जो हिंदी ब्लॉग जगत को अभी समझ रहे हैं, उनके लिए एक बेहतरीन तोहफा. धन्यवाद.

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  18. श्रमसाध्य कार्य । उपयोगी व महत्वपूर्ण आलेख ।
    आभार ।

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  19. हिंदी ब्लोगिंग के पूवार्द्ध काल को प्रस्तुत करने में आपने जो मेहनत की है सराहनीय है ....बहुत अच्छा लगा पढ़ना . धन्यवाद

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  20. उपयोगी आलेख!

    ……………अब अगली कडी का इंतज़ार है।

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  21. यह झांकी तो बच्चों को दिखाई जा रही थी? यह क्या यहाँ तो बहुत बड़े बड़े बच्चे जमा हो गए? अरे यह क्या हुआ मैं भी यहीं चला आया? सच है हर इंसान के दिल मैं एक बच्चा हमेशा रहता है.

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  22. रवीन्द्र जी,
    हिन्दी ब्लॉगिंग के इतिहास को एक समेटने का आपका प्रयास कितना श्रमसाध्य है, यह सोच कर ही झुरझुरी होती है, क्योंकि मैंनें वर्ष 2009 के उत्तरार्ध में इसकी योजना बनायी थी, किन्तु इसके सर्वेक्षण में ही मेरा दम निकल गया.. और फिर मुझे अपने यूँ ही निट्ठल्ला का मान रखना था, अतः मैं चुप हो बैठ गया । अपने सपने को यूँ साकार होते देख मुझे क्या लग रहा है, यह न बता पाऊँगा.. कुछ अच्छा या बहुत अच्छा जैसे शब्द गौण हैं यहाँ ।
    अपने सर्वेक्षण के दौरान ही मुझे मनीष कुमार और महेद्र वर्मा जी जैसी प्रतिक्रियाओं की अपेक्षा रही थी, और अभी ऎसे स्वर और भी आने को होंगे ।
    विकल्प के तौर पर आप अपने साइडबार में इस आशय की सूचना चस्पाँ कर र्सकते हैं, कि जिनको भी ऎसा लगे वह अपने ब्लॉग का लिंक , ब्लॉग आरँभ करने की तिथि, ब्लॉग पर लिखे गये पोस्टों की सँख्या का उल्लेख आपको मेल कर सकते हैं । पेज़लोड, पेज़रैंक जैसे तकनीकी टोटके इन दावों को प्रभावित नहीं करते । उस पर प्रकाशित सामग्री के आधार पर ब्लॉग के चुनाव करने आपका अधिकार सुरक्षित रहेगा ।
    अहर्निश असीम शुभकामनायें !

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  23. मनीष जी,
    आपका गुस्सा जायज है, ऐसे और भी कई ब्लॉग होंगे जिनकी चर्चा नहीं हो सकी होगी ....आपके ब्लॉग को जोड़ा जा रहा है, यदि आप अपने दौर के अन्य ब्लॉग की भी जानकारी दे सकें तो कृपा होगी . साथ ही मैं आपको यह स्पष्ट कर दूं की मैं हिंदी ब्लोगिंग का कोई इतिहास नहीं लिखने जा रहा हूँ .....मैं केबल प्रयाप्त सूचनाओं को एक जगह एकत्रित करने का प्रयास कर रहा हूँ ...वैसे इस विषय पर अमर कुमार जी ने एक सुझाव दिया है उसी सुझाव को अपने समस्त ब्लोगर साथियों के लिए निवेदित कर रहा हूँ कि-जिनको भी ऎसा लगे वह अपने ब्लॉग का लिंक , ब्लॉग आरँभ करने की तिथि, ब्लॉग पर लिखे गये पोस्टों की सँख्या का उल्लेख मेल कर सकते हैं । पेज़लोड, पेज़रैंक जैसे तकनीकी टोटके इन दावों को प्रभावित नहीं करते ।

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  24. बहुत अच्छा प्रयास ! जारी रहे ये क्रम !!

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  25. बहुत मेहनत कर रहे हैं आप पर मेहनत सार्थक है .

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  26. मैं इसलिये टिप्पणी नहीं कर रहा कि मेरे ब्लाग "incitizen.blogspot.com" (अब indzen.blogspot.com) की चर्चा की गयी है. जहां मेरे ब्लाग की चर्चा हो जाती है, मैं वहां अमूमन टिप्पणी करने से बचता हूं. दर-असल आपने जो ब्यौरा दिया है, वह अच्छा लगा. यह हो सकता है कि कई ब्लाग इस संकलन में रह गये हों, लेकिन इतने ब्लागों को वर्ष के हिसाब से इकट्ठा कर और सामग्री को तरतीब से प्रस्तुत करना एक अच्छा और दुर्गम कार्य है. डाक्साब की टिप्पणी पर गौर फरमायें.

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  27. रवीन्द्र प्रभातजी,

    आपने बहुत मेहनत की और बहुत अच्छा काम करने की कोशिश कर रहे हैं इसके लिये बधाई।

    इस तरह के काम में हमेशा बिना किसी इरादे के काफ़ी कुछ छूट जाने की संभावना होती है। यहां भी वही हुआ है। आपकी सहूलियत के लिये मैं आपको अक्षरग्राम का लिंक दे रहा हूं। आप यहां जायेंगे तो देखेंगे कि क्या कुछ आपके उल्लेख से छूट गया है। लिंक यहा रहा।
    http://web.archive.org/web/*/http://akshargram.com

    कुछ बातें जो मैं जोड़ना चाहूंगा वे हैं:
    १. विनय जैन सबसे शुरुआती ब्लॉगरों में हैं। इसके अलावा अतुल अरोरा, तरुण, आशीष श्रीवास्तव, प्रेम पीयूष ,ई-स्वामी ,रचना बजाज, रत्ना की रसोई और कई सक्रिय शुरुआती दौर के ब्लॉगरों का जिक्र किया छूटा है।

    २. आपका यह कहना सही नहीं है कि २००६ महत्वपूर्ण सामग्री परोसने के लिहाज से बहुत उपयोगी नहीं रहा। आप अक्षरग्राम की कडियां देखें तो पायेंगे जैसे लेख अनुगूंज के माध्यम से उन दिनों लिखे गये वैसे अब नहीं लिखे जाते। मेरी समझ में हिंदी ब्लॉगजगत मे अब तक के सबसे बेहतरीन लेखों में से कुछ लेख अनूगूंज में मिलेंगे।
    ३. इसी क्रम में बुनो कहानी, निरंतर, ब्लॉगनाद, पॉडभारती जैसे प्रयास हुये जिनमें से केवल निरंतर का जिक्र हो पाया आपके लेख में।
    ४.बालेन्दु दधीच के लेख से पहले हिंदी ब्लॉगिंग पर एक लेख वागर्थ में छपा था जिसे अनूप सेठी जी ने लिखा था जिसका शीर्षक था- http://web.archive.org/web/20051211230314/http://vagarth.com/feb05/internet/index.htm हिंदी का नया चैप्टर- ब्लॉग! इस लेख की भाषा हिंदी ब्लॉगिंग के बारे में देखिये-यहां गद्य गतिमान है। गैर लेखकों का गद्य। यह हिन्दी के लिए कम गर्व की बात नहीं है। जहां साहित्य के पाठक काफूर की तरह हो गए हैं, लेखक ही लेखक को और संपादक ही संपादक की फिरकी लेने में लगा है, वहां इन पढ़े-लिखे नौजवानों का गद्य लिखने में हाथ आजमाना कम आह्लादकारी नहीं है। वह भी मस्त मौला, निर्बंध लेकिन अपनी जड़ों की तलाश करता मुस्कुराता, हंसता, खिलखिलाता जीवन से सराबोर गद्य। देशज और अंतर्राष्ट्रीय। लोकल और ग्लोबल। यह गद्य खुद ही खुद का विकास कर रहा है, प्रौद्योगिकी को भी संवार रहा है। यह हिन्दी का नया चैप्टर है।
    ५. इसी तरह महिला ब्लॉगरों के उल्लेख में बहुत कुछ छूटा है। कई ब्लॉगरों के नाम तो छूटे ही हैं।

    यह सब मैं अपनी तुरंत याद के आधार पर बता रहा हूं। यह बताने का उद्देश्य आपके काम को कमतर बताना नहीं है। सिर्फ़ यह इशारा करना चाहता हूं कि नेट पर ही ऐसे संदर्भ मौजूद हैं जिनके आधार पर आप शुरुआती दौर में हुयी ब्लॉगिंग गतिविधियों को और बेहतर और सही तरीके से पेश कर सकते हैं!

    दो संदर्भ और प्रयोग कर सकते हैं एक चिट्ठाचर्चा और दूसरा इंडीब्लॉगीस की इनाम वाली पोस्टें।

    आपके प्रयास के लिये बधाई!

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  28. आपका यह प्रयास बेहद सराहनीय है ...और इतने बड़े काम के पीछे कुछ कमी रह भी जाए तो वह कमी नहीं कहलाती ...आपका यह प्रयास यूं ही अनवरत चलता रहे ...शुभकामनाओं के साथ्‍ा बधाई ।

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