मित्रो,
आज मैं एक परिचर्चा लेकर आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ ....जैसा की आप सभी को विदित है कि  विगत दिनों हिंदी बलॉगिंग के स्वरुप,व्याप्ति और संभावनाओं को लेकर ब्लॉग जगत में काफी गर्मागर्म वहस हुई , साथ ही ब्लॉगिंग के ऊपर सरकार के द्वारा नकेल कसे जाने की संभावनाओं को भी कुछ ब्लॉगर्स ने सिरे से खारिज करते हुए एक अभियान चलाया ! इस सन्दर्भ में हिंदी के कुछ प्रवुद्ध लोगों की राय आपके समक्ष प्रस्तुत है ... आईये आप भी इस परिचर्चा में शामिल होईये ,विषय है हिंदी ब्लॉगिंग और आपकी सोच ?







हिन्दी ब्लॉगिंग शैशवा-वस्था से आगे निकल कर किशोरावस्था को पहुँच रही है. अलबत्ता इसे मैच्योर होने में बरसों लगेंगे. अंग्रेज़ी के गुणवत्ता पूर्ण (हालांकि वहाँ भी अधिकांश - 80 प्रतिशत से अधिक कचरा और रीसायकल सामग्री है,), समर्पित ब्लॉगों की तुलना में हिन्दी ब्लॉगिंग पासंग में भी नहीं ठहरता. मुझे लगता है कि तकनीक के मामले में हिन्दी कंगाल ही रहेगी. बाकी साहित्य-संस्कृति से यह उत्तरोत्तर समृद्ध होती जाएगी - एक्सपोनेंशियली.
  • रवि रतलामी, भोपाल 
    (हिंदी इंटरनेट में एक जाना पहचाना नाम)




हिन्दी ब्लोगिंग सृजन एवं जनसंचार के क्षेत्र में नई संभावनाएं लेकर सामने आई है। उसने एक उत्तेजक वातावरण का निर्माण किया है तथा परस्पर संवाद और विचार विमर्श के नये रास्ते खोले हैं और इसका स्वागत होना चाहिए ताकि इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। यह भागीदारी जैसे विस्तार पायेगी ब्लागिंग का क्षेत्र अधिक उत्तेजक विचारपूर्ण और उपयोगी होता जायेगा।


  • शकील सिद्दीकी 
    (प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य)






हिन्दी ब्लोगिंग अभी, मेरी निगाह में, शिशु हॆ जिसे परवरिश की दरकार हॆ । इसे बहुत स्नेह चाहिए ऒर प्रोत्साहन भी ।अच्छी बात यह हॆ कि इसे पालने-पोसने वाले मॊजूद हॆं । इसका अधिक से अधिक प्रयोग ही इसकी सफलता की कुंजी हॆ । हां इसका उपयोग मर्यादित होना चाहिए । मर्यादा मिल जुल कर निर्धारित की जा सकती हॆ । जानकारों ऒर विशेषज्ञों को सेवा भाव से भी सामने आना होगा । अभी तो खुलकर उपयोग हो ।
हिदी का महत्त्व जितना बढ़ेगा, हिन्दी का ब्लाग भी बढ़ेगा ।


  • दिविक रमेश
(सुपरिचित हिंदी कवि )






ब्लॉग की दुनिया में मैं शिशु हूं ओर मुझे अभी घुटनों-घुटनों भी चलना नहीं आता है। वो तो भला हो अविनाश वाचस्पति जैसे मित्रों का जिन्होंनें मुझ अनाड़ी को इस क्षेत्र का नौसिखिया खिलाड़ी बना दिया। मैंनें जब लिखना आरंभ किया तो , ये मेरी अल्पज्ञता हो सकती है, ब्लॉग की दुनिया विकास की ओर उन्मुख थी। आज तो चारों ओर ब्लॉग ही ब्लॉग नजर आते हैं।
  • प्रेम जनमेजय
(आधुनिक हिंदी व्यंग्य की तीसरी पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर)

जारी है परिचर्चा, मिलते हैं एक विराम के बाद ............ 

14 टिप्पणियाँ:

  1. sabhi ke vichar srahniy hain par Ravi ji ki is bat se main sahmat nahi ki hindi bloging sada takneek ke mamle me kangal rahegi .prayas karne se sab kuchh ham hasil kar lenge aisa mera vishvas hai .

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  2. Blog ka mahtwa aaj ke samay me bahut zyada ho gaya hai..

    aane wale samay me iski upyogita aur zyada badh jaayegi.

    Post sarahniye hai

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  3. यह परिचर्चा एक संवाद का माध्यम ही नहीं बल्कि हिंदी ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर प्रदान करेगी ..आपका आभार इस सार्थक कार्य के लिए

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  4. इस परिचर्चा के माध्यम से विद्वजनों के हिन्दी ब्लागिंग के बारे में अमूल्य विचार जानने को मिल सकेंगे । आभार इस उपयोगी पहल के लिये...

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  5. बढ़िया एवं अनूठी चर्चा के लिए आभार !!

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  6. बहुत सार्थक भविष्य नहीं दीखता है अभी. देखा जाए तो बहुत कम हैं जो विकास की चर्चा करते हैं अन्यथा यहाँ बस रोजनामचा सा लिखा जाता है या फिर टांग खिंचाई.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  7. इस उम्दा परिचर्चा के आयोजन के लिए बधाई.

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  8. परिचर्चा जारी रहे , विमर्श होते रहना चाहिए , अभी तो सफ़र शुरू ही हुआ है सिर्फ़ अगले पांच दस सालों में ही बहुत सारे परिवर्तन देखने को मिलेंगे ।

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  9. हिंदी ब्लोगिंग से हिंदी और इस देश के समाज को बहुत फायदा होने वाला है खासकर सत्य,न्याय व ईमानदारी की आवाज को मजबूती प्रदान करने में....ब्लोगिंग उन लोगों को आने वाले समय में आइना दिखायेगा जो लोग मिडिया को इस देश के लोगों के तक़दीर को बरबाद करने का साधन बना चुके हैं....

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  10. मैं भी वापस अपने पुराने घर लौटना चाह रही हूँ। प्रयासरत हूँ। देखें कितना समय निकाल पाती हूँ।

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